बढ़ती गर्मी ने बढ़ाई UN की टेंशन, हर साल 5 लाख लोगों की मौत का अनुमान...दुनियाभर के लोगों से की ये अपील
तकरीबन पांच लाख लोग हर साल गर्मी से मरते हैं, जो कि Tropical cyclones से होने वाली मौतों के आंकड़ों से भी करीब 30 गुना ज्यादा है. इन हालातों पर यूनाइटेड नेशंस ने भी चिंता जताई है.
लगातार बढ़ रही गर्मी को लेकर यूनाइटेड नेशंस भी टेंशन में आ गया है. इस सप्ताह लगातार तीन दिनों तक ग्लोबल तापमान में रिकॉर्ड बढ़ोतरी के बीच संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने चिंता जाहिर की है और दुनियाभर के लोगों से जीवन बचाने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जरूरी कदम उठाने की अपील की है.
50 डिग्री सेल्सियस से ऊपर के तापमान में झुलस रहे अरबों लोग
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने गुरुवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए कहा, अरबों लोग दुनिया भर में 50 डिग्री सेल्सियस से ऊपर के तापमान के साथ घातक गर्मी से झुलस रहे हैं. ये भीषण गर्मी की महामारी जैसा है. 122 डिग्री फारेनहाइट है. एंटोनियो गुटेरेस ने कोपरनिकस जलवायु परिवर्तन सेवा के आंकड़ों का उदाहरण देते हुए कहा कि पिछले रविवार, सोमवार और मंगलवार रिकॉर्ड पर सबसे गर्म दिन थे.
हर साल करीब 5 लाख लोगों की होती है मौत
उन्होंने आगे कहा, अनुमान है कि तकरीबन पांच लाख लोग हर साल गर्मी से मरते हैं, जो कि Tropical cyclones से होने वाली मौतों के आंकड़ों से भी करीब 30 गुना ज्यादा है. बहुत ज्यादा गर्मी असमानता, खाद्य असुरक्षा को बढ़ाती है और लोगों को गरीबी की ओर धकेलती है. एंटोनियो गुटेरेस ने दुनिया में फैल रही गर्म लहरों के प्रभाव को कम करने के लिए चार क्षेत्रों में कार्रवाई का आह्वान किया है.
अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन की रिपोर्ट का दिया हवाला
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उन्होंने श्रमिकों पर गर्मी के प्रभाव पर अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन की गुरुवार को जारी की गई रिपोर्ट का हवाला दिया. इस रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि विश्व कार्यबल के 70 प्रतिशत से अधिक लोग यानी 2.4 अरब लोग अब बहुत ज्यादा गर्मी के उच्च जोखिम में हैं. गुटेरेस ने कहा कि इस माहौल में सबसे कमजोर लोगों की देखभाल, श्रमिकों के लिए अधिक सुरक्षा, अर्थव्यवस्थाओं और समाजों की लचीलापन को बढ़ावा देने के साथ ही हमें तापमान वृद्धि को 1.5 डिग्री तक सीमित रखने के लिए प्रतिबद्धता जताते हुए जलवायु परिवर्तन से लड़ने के लिए कार्रवाई करना चाहिए.
एशिया-प्रशांत क्षेत्र में चार में से तीन श्रमिक गर्मी से झुलस रहे
एशिया-प्रशांत क्षेत्र में चार में से तीन श्रमिक अत्यधिक गर्मी के संपर्क में हैं. इन सबका लोगों और अर्थव्यवस्था पर गहरा प्रभाव पड़ रहा है. उन्होंने आगे कहा कि प्रतिदिन तापमान जब 34 डिग्री से अधिक हो जाता है, तो श्रम की उत्पादकता में 50 प्रतिशत तक की कमी आ जाती है और काम के दौरान गर्मी के कारण होने वाले तनाव से ग्लोबल अर्थव्यवस्था को 2030 तक 2.4 ट्रिलियन डॉलर का नुकसान होने का अनुमान है, जो 1990 के दशक के मध्य में 280 बिलियन डॉलर था.
श्रमिकों की सुरक्षा के लिए उपाय करने की अपील
उन्होंने श्रमिकों की सुरक्षा के लिए उपाय करने का आह्वान किया है. साथ ही कहा कि हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि कानून और नियम आज की भीषण गर्मी की वास्तविकता को प्रतिबिंबित करें और उनका अनुपालन किया जाए. हमें अर्थव्यवस्थाओं, महत्वपूर्ण क्षेत्रों और निर्मित पर्यावरण को गर्मी से बचाने के लिए ठोस प्रयास की जरूरत है.
अगले साल तक सभी देशों से मांगी कार्रवाई योजनाएं
देशों, शहरों और क्षेत्रों को अच्छे विज्ञान और आंकड़ों के आधार पर व्यापक, अनुकूलित हीट एक्शन प्लान की जरूरत है. जलवायु संकट के कई अन्य विनाशकारी लक्षण भी हैं, जिसमें भयंकर तूफान बाढ़, सूखा, जंगली आग, समुद्र का बढ़ता स्तर आदि शामिल हैं. उन्होंने कहा, कि सभी देशों को अगले साल तक राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान या राष्ट्रीय जलवायु कार्रवाई योजनाएं पेश करनी होंगी, जो ग्लोबल तापमान वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखने के लिए हो.
11:19 AM IST